जिस शुभ समय की प्रतीक्षा हम सब रामभक्त कर रहे थे , वो आने वाला है, 5अगस्त को जब देश के यशस्वी प्रधानसेवक "नरेंद्र दामोदर दास मोदी जी " भूमि पूजन करेंगे तब विश्व के सभी प्राणियों के लिए ये गौरव का पल होगा।इस शुभ दिन के लिए रामभक्तो ने बहुत सा त्याग किया है।
रामजी का मंदिर बनना ,कितने ही लोगो का सपना बन चुका था, कितनी ही विपत्तियां आयी, पर भक्तों के संकल्प के आगे वो नतमस्तक हो गयी। रोड़े अटकाने वाले अभी भी अपना भरसक प्रयत्न कर रहे है, पर अब तो मंदिर बन कर ही रहेगा।
मै और मेरे जैसे बहुत से भक्त जब रामलला को टेंट में देखते थे,तो बहुत ही दुःख होता था, की हम हिंदुओं के आराध्य आज इस स्थिति में है और हम कुछ नहीं कर पा रहे है।तब भी सब भक्त कहते थे।
"रामलला हम आएंगे , मंदिर वही बनाएंगे"
राममंदिर आंदोलन में बहुत सारे लोगो ने अपनी आवाज उठाई,
और आक्रमणकारियों के उस निशानी को गिरा दिया। और तब से राममंदिर बनने की राह और समीप आ गयी। वो गीत कितना मधुर था, जो रामभक्तो के मन में उत्साह भर देता था।
"अयोध्या करती है आह्वान, ठाठ से कर मंदिर निर्माण,
शिला की जगह बिछा दे प्राण, बिठा दे उसमे राम भगवान्"
जो लोग राममंदिर के खिलाफ थे ।आज उनकी स्थिति सब के सामने है। हम सब रामभक्तो की 7 पीढ़ियों के संघर्ष का परिणाम है, की वो शुभ पल बस आने वाला है।हमारे प्रभु रामजी को सबने अपनी अपनी भावना से देखा।कुछ लोगो को प्रेम की निशानी कोई और ईमारत दिखती है, पर हम राम भक्तो को "रामसेतु" प्रेम का अद्भुत रूप दिखता है। वो कहते है.
"जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत् देखी तिन तैसी"
आज हमारे इस आराध्य के मंदिर को लेकर पूरा विश्व उत्साहित है, कितने ही देश इस पूजन को लाइव दिखाएंगे, दूरदर्शन पर रामायण हम कुछ दिन पहले ही देख चुके है, कभी दूरदर्शन से सत्यम शिवम सुंदरम हटाया गया था। आज वो हर धार्मिक अनुष्ठान को लाइव दिखाता है।
जिस तरह से पहले असुर यज्ञ में बाधा डालते थे, आज भी कुछ लोग वैसा ही आचरण करते है, सबको याद है, की रामजी को काल्पनिक कहा गया, अस्तित्व को ही नकारा गया था।और ऐसा करने वाले कौन लोग थे।पर कुछ अच्छे लोग भी है जो इस मंदिर के लिए निस्वार्थ भाव से अंत तक लगे रहे।
जन जन के नायक मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान् राम के आदर्शों पर चलकर मानव अपना कल्याण कर सकता है। हम सभी को अपनी परंपरा और संस्कृति से वैसे ही सदैव जुड़े रहना चाहिये , जैसे हम अपने माता पिता से जुड़े रहते है।मनुष्य जब विपत्ति का मारा होता है, तो उसे बस यही लाइन याद आती है।
"सुख के सब साथी , दुःख में न कोय"
मेरे राम, मेरे राम , तेरा नाम एक साचा, दूजा न कोय"
आइये हम सब मिलकर इस दिन को भव्य बनाये, और अपने घरों में दीपक जलाये।
"जय श्री राम"
जय श्री राम
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